24 जुलाई 2024 को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण और तनावपूर्ण दिन था, जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बीच तीखी बहस हो गई। यह घटना तब शुरू हुई जब अभिषेक बनर्जी ने अध्यक्ष ओम बिरला पर पक्षपात का आरोप लगाया, जो सदन में एक बड़ी बहस का कारण बना।
अभिषेक बनर्जी ने सदन में आरोप लगाया कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। उन्होंने कहा, “आप अपने पद की मर्यादा रखिए, पक्षपात नहीं चलेगा।” इस पर ओम बिरला ने जवाब देते हुए कहा, “पहले इस बात को स्पष्ट कर लीजिए कि किसान बिल पर 5 घंटे की चर्चा हुई थी।” इसके बावजूद, अभिषेक ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि कोई चर्चा नहीं हुई है, जिससे सदन का माहौल और गरम हो गया।
ओम बिरला ने अभिषेक बनर्जी की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा, “जब स्पीकर बोलता है, तो सही बोलता है। आप अपनी बातें सही कर लीजिए।” इसपर सत्ता पक्ष के सांसदों ने अभिषेक बनर्जी का मजाक उड़ाते हुए ताली बजानी शुरू कर दी। इससे नाराज होकर अभिषेक ने कहा, “आज जो लोग ताली बजा रहे हैं, क्या उन्होंने 700 किसानों की मौत पर एक मिनट का मौन रखा था? यह स्थिति इन लोगों की है।”
इसके बाद अभिषेक बनर्जी ने 2016 के नोटबंदी के फैसले पर भी बात की और बीजेपी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने नोटबंदी के फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की ओर इशारा किया। इसपर ओम बिरला ने उन्हें टोका और कहा, “माननीय सदस्य, आप वर्तमान बजट और मुद्दों पर बोलिए।” अभिषेक ने उत्तर दिया, “जब 50 साल पुराने इमरजेंसी की बात होती है तो आप कुछ नहीं कहते, लेकिन जब मैं 5 साल पुराने नोटबंदी की बात करता हूँ, तो आप मना कर देते हैं। यह पक्षपात नहीं चलेगा।”
अभिषेक बनर्जी की इन टिप्पणियों पर स्पीकर ओम बिरला मुस्कुराने लगे, जिससे सदन में और भी तनाव बढ़ गया। अभिषेक ने कहा, “यह पक्षपात है, और इसे सहन नहीं किया जाएगा।”
इस घटना ने संसद में एक नई बहस को जन्म दिया है। विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार पर हमला बोला और इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है। टीएमसी के अन्य नेताओं ने भी इस मामले में स्पीकर ओम बिरला की आलोचना की है और कहा है कि वे विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस विवाद के बाद सवाल उठता है कि संसद में इस तरह की बहसें और तीखी टिप्पणियाँ कितनी उचित हैं। क्या यह लोकतंत्र की स्वस्थ परंपराओं के अनुरूप है, या यह सिर्फ एक राजनीतिक तमाशा है? इस बहस ने न केवल सांसदों के बीच, बल्कि जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले पर आगे क्या होता है और क्या यह विवाद संसद की कार्यवाही में कोई महत्वपूर्ण बदलाव लाता है या नहीं। फिलहाल, यह घटना एक बार फिर से संसद में गरमा-गरमी और पक्षपात के आरोपों को सामने लाई है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
आपको क्या लगता है क्या वाकई में विपक्ष के आवाज को संसद में दबाया जा रहा , क्या मजबूत विपक्ष होने के बाद भी विपक्ष के नेता आपके मुद्दे ठीक से सदन में नहीं रख पा रहे है ? क्या स्पीकर के पद पर बैठे ओम बिरला सच में पक्षपात कर रहे ? ये सब सवाल आपके मन भी चल रहा रहा होगा या फिर आप इस पुरे खबर को किस नजरिए से देख पा रहे हमे जरूर बताएं , और आगे देखें है जो भी होगा हम आपके साथ जरूर साझा करेंगे इसलिए आप हमसे जुड़े रहिए ताकि कोई खबर मिस न कर दे , हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे फॉलो करले और नोटिफिकेशन के ऑप्शन को ऑन करले जिससे हमारी हर खबर आप तक पहुंच सके ।
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