नमस्कार दोस्तों जैसा कि आपको पता ही होगा कि इस समय पक्ष और विपक्ष में कितनी नाराजगी और कितना तक राज चल रहा है अब इसी बीच ममता बनर्जी का एक बयान सामने आया है जो मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है इस खबर को आज हम आपके साथ साझा करने वाले हैं जो हिंदी और English दोनों शब्दों में है अगर जिसको हिंदी में पढ़नी है खबर वह हिंदी में पढ़ सकता है लेकिन जिसको हिंदी खबर नहीं पढ़ने आती english आती है वह english में भी नीचे खबर पढ़ सकता है
हाल ही में हुए नीति आयोग की बैठक में ममता बनर्जी की नाराजगी ने सुर्खियां बटोरी हैं। ममता ने आरोप लगाया कि बैठक में उनकी बात को पूरा नहीं होने दिया गया और उनका माइक बंद कर दिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे। ममता बनर्जी, जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, बैठक के बीच में ही बाहर आ गईं। उन्होंने कहा कि अन्य मुख्यमंत्रियों को अधिक समय दिया गया, जबकि उन्हें केवल 5 मिनट ही बोलने का मौका मिला।
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को 20 मिनट बोलने का अवसर मिला, जबकि असम, गोवा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को 10-12 मिनट। ममता ने कहा कि अगर उनकी बात सही नहीं थी, तो बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग सार्वजनिक की जानी चाहिए।
नीति आयोग के बैठक हुई थी जिसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्री को बुलाया गया था , लेकिन ममता ने आरोप लगाया कि समय से पहले ही उनका माइक बंद कर दिया गया जिससे वह नाराज हो गई और नीति आयोग बैठक से बाहर आ गई , अभी हम मीडिया के बीच में चर्चा का विषय बना हुआ है की आंखें ममता बनर्जी बाहर क्यों आ गई , अगर ममता बनर्जी कुछ गलत बोल रही थी उनकी बातें ठीक नहीं थी तो कम से कम सरकार को इस वीडियो रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक करके मीडिया के सामने बोलना चाहिए कि यह कितना गलत है और कितना सही ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके लेकिन कहीं ना कहीं सरकार भी डर रही है ऐसा लग रहा है , तभी तो सरकार की तरफ से भी कोई रिस्पांस नहीं आ रहा है , आखिर यह कैसे बैठक है जिसमें मुख्यमंत्री को किसी को 5 मिनट तो किसी को 10 मिनट तो किसी को 20 मिनट बोलने का मौका दिया जा रहा है क्या नीति आयोग की बैठक में यह चीज सत्ता पर सवाल खड़ी नहीं कर रही है क्या यह लोकतांत्रिक देश के लिए यह चीज सही है आखिर सही है तो कहां तक सही है गलत है तो क्यों गलत है , क्योंकि यह कोई पहली बार नहीं है जब विपक्ष का माइक बंद किया गया है , इसके पहले भी सदन में जब लोकसभा की कार्रवाई चल रही थी उसमें भी राहुल गांधी ने कुछ मुद्दे उठाए थे तब भी उनका माइक बंद कर दिया गया क्या सरकार दीपक से इतना डरी हुई है कि उनका कोई मुद्दा ही नहीं उठाने दे रही है आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है , या फिर सरकार डर के मारे कुछ बोल नहीं पा रही , क्योंकि प्रधानमंत्री के अध्यक्षता वाले बैठकर में उनके ही सामने विपक्ष की आवाज दबाई जा रही और प्रधानमंत्री चुप चाप देख रहे , क्या प्रधानमंत्री जी का कर्तव्य नहीं ही की ऐसा होने पर उनको भी टोकना चाहिए , क्योंकि अगर बैठकर विपक्ष को बोलने नही दिया जा जब बोलने पर माइक ही बंद करना था तो फिर बुलाया क्यों जा रहा है , इससे अच्छा बुलाना ही नही चाहिए , क्योंकि बुलाने का मतलब है की सबको बराबर का मौका मिलना चाहिए लेकिन यह तो अब उल्टा पुल्टा चल रहा है ।
आपने कुछ दिन ही पहले देखा होगा पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी संसद में यही मुद्दा उठाया था जिसपर की सरकार में पश्चिम बंगाल के कई योजनाओं का पौने दो लाख करोड़ से ज्यादा पैसा रोक के रखी है , अगर मेरी यह बात गलत है तो सरकार एक कागज ही दिखा दे जिसपर पैसे की लेन देन हुई हो , लेकिन सरकार नहीं दिखा सकती क्योंकि उन्हें भी पता है पैसे रुके है , है तो लेन देन का कागज कहा से दिखा देंगे ।
ममता बनर्जी ने बताया की बैठक यही बोल रही थी की ने पिछले 3 सालों से कई योजनाओं का पैसा नही दिया ,
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल को लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये का फंड नहीं दिया है। ममता ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों राज्यों को फंड नहीं दिया जा रहा, जबकि मनरेगा और आवास योजना जैसी योजनाओं के लिए फंड की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सभी राज्यों को फंड देना चाहिए ताकि वे अपने राज्य में विकास कर सकें।
बीजेपी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है, जबकि कुछ सांसदों ने नीति आयोग की बैठक को ‘बकवास’ करार दिया।
ममता बनर्जी ने कहा कि अगर उनकी बात गलत है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सामने आकर इसे स्पष्ट करना चाहिए। उनकी इस बात से यह सवाल उठता है कि क्या विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है।
यह मामला आगे कैसे बढ़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा। हम आपको इस मुद्दे पर अपडेट देते रहेंगे।
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